रोशनी को आखिर
क्या मिलता है यूं
जीवन भर जलकर....
अंधेरों के साजिशों
और षड्यंत्रों के साए तले
थर थर कांपता रहता है
हर पल
रोशनी का नन्हा सा वजूद....
रोशनी चाहे तो
पा सकती है
अपनी तमाम मुश्किलों से निजात
सिर्फ देना भर है उसे
साथ अंधेरों का
हर बार, लगातार....
पर यह सब तो है
रोशनी की फितरत के खिलाफ़
वो क्यों चले चालें
और किस के लिए
बिछाए जाल....
जबकि वो खुद है
एक साफ और चमकदार
शीशे की मीनार....
विश्वासघात और षड्यंत्रों की
चौतरफा मार झेलती
रोशनी का टूटा हुआ दिल
ठाने बैठा है जिद
जूझने का
अंधेरों से मरते दम तक....
भले ही
लड़ना पड़े
अकेले और तन्हा....
क्योंकि, आखिर
अंधेरों की हुकुमत भी
भला कब तक
और क्यों कर चलेगी
उस की सल्तनत भी तो
आखिर कभी तो ढहेगी और खत्म होगी....
एक समय तो
ऐसा भी आएगा
जब हर दरार और कोना
भी जगमगाएगा
उस वक्त
अंधेरा खुद अपनी ही मौत
मर जाएगा....
उखड़ जाएंगे पैर
उसके सब सिपहसालारों के
और जिन्होंने भी
दिया था साथ अंधेरे का
वे सभी
रोशनी के बवंडर के सम्मुख
तिनकों से बिखर जाएंगे....
अंधेरों के सामने अभी
रोशनी
लाख कमजोर और लाचार ही सही
पर हौसला और उम्मीद
किसी एक की बपौती तो नहीं....
जिसकी डोर थामे
देखते हैं दबे कुचले लोग
सपने
आने वाले सुनहरे दिनों के....
यही तो देता है
हिम्मत और ताकत
रोशनी को भी
अपनी जिद पर अड़े रहने
और अपने दम पर
अकेले आगे बढ़ने का....
फिर से रोशन होंगी
बेमकसद अंधेरी जिंदगियां
जल उठेंगे मशाल
नए नए सपनों के
हर गली गली
हर शहर शहर में....
रोशनी का सपना
यूंही बेकार तो नहीं जाएगा
रोशनी भले ही मिट जाए
पर उसका सपना
एक दिन जरूर रंग लाएगा
........
........
क्या मिलता है यूं
जीवन भर जलकर....
अंधेरों के साजिशों
और षड्यंत्रों के साए तले
थर थर कांपता रहता है
हर पल
रोशनी का नन्हा सा वजूद....
रोशनी चाहे तो
पा सकती है
अपनी तमाम मुश्किलों से निजात
सिर्फ देना भर है उसे
साथ अंधेरों का
हर बार, लगातार....
पर यह सब तो है
रोशनी की फितरत के खिलाफ़
वो क्यों चले चालें
और किस के लिए
बिछाए जाल....
जबकि वो खुद है
एक साफ और चमकदार
शीशे की मीनार....
विश्वासघात और षड्यंत्रों की
चौतरफा मार झेलती
रोशनी का टूटा हुआ दिल
ठाने बैठा है जिद
जूझने का
अंधेरों से मरते दम तक....
भले ही
लड़ना पड़े
अकेले और तन्हा....
क्योंकि, आखिर
अंधेरों की हुकुमत भी
भला कब तक
और क्यों कर चलेगी
उस की सल्तनत भी तो
आखिर कभी तो ढहेगी और खत्म होगी....
एक समय तो
ऐसा भी आएगा
जब हर दरार और कोना
भी जगमगाएगा
उस वक्त
अंधेरा खुद अपनी ही मौत
मर जाएगा....
उखड़ जाएंगे पैर
उसके सब सिपहसालारों के
और जिन्होंने भी
दिया था साथ अंधेरे का
वे सभी
रोशनी के बवंडर के सम्मुख
तिनकों से बिखर जाएंगे....
अंधेरों के सामने अभी
रोशनी
लाख कमजोर और लाचार ही सही
पर हौसला और उम्मीद
किसी एक की बपौती तो नहीं....
जिसकी डोर थामे
देखते हैं दबे कुचले लोग
सपने
आने वाले सुनहरे दिनों के....
यही तो देता है
हिम्मत और ताकत
रोशनी को भी
अपनी जिद पर अड़े रहने
और अपने दम पर
अकेले आगे बढ़ने का....
फिर से रोशन होंगी
बेमकसद अंधेरी जिंदगियां
जल उठेंगे मशाल
नए नए सपनों के
हर गली गली
हर शहर शहर में....
रोशनी का सपना
यूंही बेकार तो नहीं जाएगा
रोशनी भले ही मिट जाए
पर उसका सपना
एक दिन जरूर रंग लाएगा
........
........
35 comments:
डोरोथी जी , आपकी कविता पढ़कर मन अभिभूत हो गया ,
इतना उत्साह इतनी हिम्मत होगी तो क्या मजाल अंधेरो की जो रौशनी के आगे ठहर पायें.
सुंदर शब्दों से सजी प्रभावशाली रचना.
एक अति प्रभावशाली और आशावादी कविता...बधाई।
फिर से रोशन होंगी
बेमकसद अंधेरी जिंदगियां
जल उठेंगे मशाल
नए नए सपनों के
हर गली गली
हर शहर शहर में....
शब्द योजना चमत्कार पैदा करते हैं। शुभकामनाएं।
रोशनी का उद्गम ही अंधेरे को चीरकर होता है और जो रौशन होता है,वह दूसरों के अंधेरे को सहज भाव से हरता है। अनेक ऋषियों का अंतिम काल इसी कारण कष्ट में बीता प्रतीत होता है।
रोशनी का सपना रोशन रहता है, वह कभी बेकार नहीं जाता. हम सब रोशनी की ओर चलते हैं. अँधेरे-उजाले का रूपक देती बहुत अच्छी रचना.
रोशनी चाहे तो
पा सकती है
अपनी तमाम मुश्किलों से निजात
सिर्फ देना भर है उसे
साथ अंधेरों का
हर बार, लगातार....
gr8... amazing
kripya is rachna ko parichay aur tasweer ke saath mail karen rasprabha@gmail.com per - vatvriksh ke liye
"रोशनी का टूटा हुआ दिल
ठाने बैठा है जिद
जूझने का
अंधेरों से मरते दम तक"
कविता का आशावादी दृष्टिकोण अच्छा लगा.
कुँवर कुसुमेश
बहुत सुंदर और आशावादी... अबस रोशनी की यह रवायत चलती रहे....
khoobsurat!
एक समय तो
ऐसा भी आएगा
जब हर दरार और कोना
भी जगमगाएगा
उस वक्त
अंधेरा खुद अपनी ही मौत
मर जाएगा....
बहुत ही उत्साहपूर्ण कविता.
मेरे ब्लौग पर आने और उत्साह बढाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
कभी तो अँधेरे छंटेंगे ....बहुत खूबसूरत भाव लिए हुए बेहतरीन रचना ..
बहुत अच्छे भाव लिए रचना |बधाई
आशा
रोशनी का सपना
यूंही बेकार तो नहीं जाएगा
रोशनी भले ही मिट जाए
पर उसका सपना
एक दिन जरूर रंग लाएगा
सकारात्मक संदेश देती एक बेहद उम्दा रचना……………बधाई।
Gazab ke bhav bune hauin aapne, sachmuch main to nishabd hi rah gaya.
---------
मन की गति से चलें...
बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।
@संजय भास्कर जी,
@अनामिका जी,
@mahendra verma ji,
@मनोज कुमार जी,
@कुमार राधारमण जी,
@Bhushan ji,
@रश्मि प्रभा जी,
@Kunwar Kusumesh
@ डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
@सुरेन्द्र "मुल्हिद" जी,
@यश(वन्त) जी,
@संगीता स्वरुप जी,
@Asha ji,
@वन्दना जी,
@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी,
@संगीता पुरी जी,
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि आगे भी आप सभी का स्नेहाशीष, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. आभार.
सादर
डोरोथी.
@संगीता स्वरुप जी,
अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देकर मेरी रचना को अपना स्नेहाशीष देने के लिए धन्यवाद. आपने मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल कर के जो सम्मान दिया है उस के लिए बेहद आभारी हूं.
सादर
डोरोथी.
@रश्मि प्रभा जी,
अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देकर मेरी रचना को अपना स्नेहाशीष देने के लिए धन्यवाद. आपने मेरी रचना को वटवृक्ष में शामिल करने का निर्णय करके जो सम्मान दिया है उस के लिए बेहद आभारी हूं. मै जल्द ही आप को अपनी रचना "मेल" करती हूं.
सादर
डोरोथी.
@संगीता पुरी जी,
अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देकर मेरी रचना को अपना स्नेहाशीष देने के लिए धन्यवाद. आपने मेरी रचना को अपनी परिचर्चा में जगमगाते सितारो के झुरमुट मे शामिल करके जो सम्मान दिया है उस के लिए बेहद आभारी हूं.
सादर
डोरोथी.
ये उम्मीद हमारे दिलों में जिन्दा रहनी ही चाहिए ! नि:संदेह एक दिन ज़रूर रंग लाएगा रोशनी का सपना…
पर यह सब तो है
रोशनी की फितरत के खिलाफ़
वो क्यों चले चालें
और किस के लिए
बिछाए जाल....
bahut sundar bhaav!
saargarbhit rachna!!!
bahut achchi lagi aapki kavita.
जीवन के झंझावातो में उलझी हुई रोशनी को
आज आजादी की जरूरत है!
--
सुन्दर सीख देती रचना पढ़वाने के लिए आभार!
अँधेरे और रौशनी की जंग में सच की प्रतीक रौशनी की तड़फ वाजिब है. उसके सामने मुश्किलों में कोई रास्ता नही नजर सिवा समझौते के. पर इस तरह का समझौता तो उसकी फितरत के खिलाफ है. कौन जीतेगा यह तो वक्त पे ताला जा सकता है .
मगर इस बहाने आपने हमारे अन्दर की रौशनी की तड़फ को शब्द दे दिए हैं जो अक्सर हारने लगती है, अँधेरे से जंग में .
फितरतन अपनी जिद पर अड़ी है की अँधेरे का विरोध तो करना ही है.एक दिन हर अँधेरे कोने को प्रकाश से आलोकित करने के लिए. एक उम्मीद-ए-किरण के साथ की वो सुबह कभी तो आयेगी..आपकी कविता से मुक्तिबोध की कविताओं की कुछ पंक्तियाँ याद आ गयीं जिसमे इसी तरह की बात कही गयी है.
डियर डोरोथी,
सुपर्ब!
आशीष
---
पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
रोशनी का सपना
यूंही बेकार तो नहीं जाएगा
रोशनी भले ही मिट जाए
पर उसका सपना
एक दिन जरूर रंग लाएगा..
अँधेरा कुछ समय के लिए प्रकाश को भले ही निगल ले लेकिन अंतिम विजय प्रकाश की ही होती है...बहुत ही प्रेरक प्रस्तुति..
बहुत जबरद्स्त!
रोशनी का सपना
यूंही बेकार तो नहीं जाएगा
रोशनी भले ही मिट जाए
पर उसका सपना
एक दिन जरूर रंग लाएगा ...
सच कहा है ... रौशनी जरूर जीतेगी ... पल भर का अंधेर क्या कर पायेगा ...
आपको और आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ....
आपकी रचना स्वप्न लहरियों का अद्भुत तिलिस्मी संसार हम कल ४.११.२०१० आंच के लिए लेना चाहते हेइं। कृपया सहमति दें।
सादर,
मनोज
mr.manojiofs@gmail.com
सपना और आशा
अंधेरा और उजाला
उम्मीदों का प्याला
कविता
बनती हाला
सच्ची रची परिभाषा
आप को सपरिवार दिवाली की शुभ कामनाएं.
रोशनी का सपना
यूंही बेकार तो नहीं जाएगा
रोशनी भले ही मिट जाए
पर उसका सपना
एक दिन जरूर रंग लाएगा
divine positivity emanating!!!!
regards,
@सुभाष नीरव जी,
@अनुपमा पाठक जी,
@mridula pradhan ji,
@डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी,
@वृजेश सिंह जी,
@आशीष/ ਆਸ਼ੀਸ਼ जी,
@Kailash C Sharma ji,
@Udan Tashtari ji,
@दिगम्बर नासवा जी,
@मनोज कुमार जी,
@अविनाश वाचस्पति जी,
@यश(वन्त) जी,
@अनुपमा पाठक जी,
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि आगे भी आप सभी का स्नेहाशीष, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. आभार.
सादर
डोरोथी.
बहुत सुन्दर रचना है डोरोथी जी..
डॉ. नूतन जी,
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि आगे भी आपका स्नेहाशीष, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. आभार.
सादर
डोरोथी.
एक समय तो
ऐसा भी आएगा
जब हर दरार और कोना
भी जगमगाएगा
उस वक्त
अंधेरा खुद अपनी ही मौत
मर जाएगा....
यकीनन वह समय आयेगा
आशा संचारित है रचना में .. सुन्दर रचना
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