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कैसी भी कर्कश धुनें हो गूंजती हमारी बेसुरी जिंदगियों में
संमदर तो उन में से भी एक खुशनुमा गीत बना लेता है
........
भले न हो सधी सधाई जिंदगियों में उसकी कोई खास जगह
संमदर जानता है सब कुछ फ़िर भी दिलों में किसी ख्वाब सा धड़कता है
........
रास्ता बदल लें लाख कतराकर लोग उसे भूल जाने की कोशिश में
संमदर मगर फ़िर भी हर मोड़ पर ठहर कर उनका इंतजार करता है
........
जवाबों की भूलभुलैया में न जाने क्यों अक्सर भटकते रहते है
लोग नहीं जानते कि सवालों के सही जवाब समन्दर के पास ही होते हैं
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कैसी भी कर्कश धुनें हो गूंजती हमारी बेसुरी जिंदगियों में
संमदर तो उन में से भी एक खुशनुमा गीत बना लेता है
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भले न हो सधी सधाई जिंदगियों में उसकी कोई खास जगह
संमदर जानता है सब कुछ फ़िर भी दिलों में किसी ख्वाब सा धड़कता है
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रास्ता बदल लें लाख कतराकर लोग उसे भूल जाने की कोशिश में
संमदर मगर फ़िर भी हर मोड़ पर ठहर कर उनका इंतजार करता है
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जवाबों की भूलभुलैया में न जाने क्यों अक्सर भटकते रहते है
लोग नहीं जानते कि सवालों के सही जवाब समन्दर के पास ही होते हैं
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16 comments:
सुंदर अभिव्यक्ति.
काश सभी सवालों के जवाब समुंदर के पास मिल जाए.
हर सवालों के सही जवाब संमदर के ही पास होते है
यह बहुत बढिया बात कही है .. इसे कुछ ऐसा सुधार लें
" हर सवाल का सही जवाब समन्दर के पास ही होता है "
या
" सवालों के सही जवाब समन्दर के पास ही होते हैं "
आपके इस सादगी भरे ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। यह देखकर और भी अच्छा लगा कि आप सरल और सहज शब्दों में अपनी बात कहने का प्रयत्न कर रही हैं।
शरद जी ने एक संशोधन सुझाया है वह उचित ही है। मैं भी एक संशोधन सुझा रहा हूं। आपके ब्लाग की परिचय पंक्ति में शब्द है- पुनर्ज्जीवित- उसे -पुनर्जीवित - होना चाहिए।
शुभकामनाएं।
माफ करें एक और संशोधन - जीवन के संघर्षों की अग्निकुंड - के स्थान पर -जीवन के संघर्षों के अग्निकुंड- होगा।
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (22/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
@अनामिका जी,
आप की बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूं. आप ने "काश" को रेंखाकित करके कमाल की बात कही है. यही काश या कामना ही तो हमारे मृतप्राय उम्मीदों को जिलाए रखती है और हर हाल में हमारे जीवन को भी गतिमान रखती है. आभार.
सादर
डोरोथी.
@वंदना जी,
अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देकर मेरी रचना को अपना स्नेहाशीष देने के लिए धन्यवाद. आप ने मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल कर के जो सम्मान दिया है उस के लिए बेहद आभारी हूं.
सादर
डोरोथी.
@शरद जी,
मेरी रचना को अपना स्नेहाशीष और उसे अधिक बेहतर बनाने के लिए अपना बहुमूल्य सुझाव देने के लिए बेहद आभारी हूं. मैंने आपके सुझावों पर अमल करके रचना में आवश्यक संशोधन कर दिया है. आभार.
सादर
डोरोथी.
@राजेश जी
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए आभारी हूं. मेरे ब्लाग की परिचय पंक्ति में त्रुटियों के बारे में संशोधन के लिए बहुमूल्य सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आपके सुझावों पर अमल करके आवश्यक संशोधन कर दिया है. आभार.
सादर
डोरोथी.
जिस सादगी पूर्ण तरीके से आप अपनी बात कहती हैं हमें वो अच्छा लगता है. सबकी अपनी अपनी अभिव्यक्ति है.
बाकी:-
समंदर की बातें समंदर ही जाने,
भला कौन आता है किसको बताने.
कुँवर कुसुमेश
यहाँ समंदर इंसान के गहरे मन का प्रतीक है.
अगर किसी के पास वह गहरा मन है तो वह उसके व्यक्तित्व का सटीक वर्णन आपके कविता में है.
samandar ki gahraayi kaun jaan paaya hai? bahut achchhi abhivtakti...asal men samandar tak pahunchna to aasaan hai lekin usake anadar ki gahraayi naapna mushkil hai .
Kaash! Samandar kee bhasha samajh me aa jaye!
भावपूर्ण अभिव्यक्ति !!!
बहुत खूब लिखा है |बधाई
आशा
बहुत सुन्दर रचना .........पंक्ति पंक्ति अति सुन्दर
आपकी कविता 'आने वाले समयों में' पढ़ी बहुत अच्छी लगी
achchhe ashaar, Dorothy ji !
कुँवर कुसुमेश जी,
राजीव जी,
संगीता स्वरुप जी,
Shama ji,
रंजना जी,
आशा जी,
Ana ji,
अनिल कान्त जी,
Ravi Shankar ji,
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि आगे भी आप सभी का स्नेहाशीष, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. आभार.
सादर
डोरोथी.
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