१
मन
किसी बिगड़ैल घोड़े सा
बारंबार निषिद्ध मार्गों पर
भाग जाना चाहता है सरपट
बदहवास लगाम थामे
सुनती हूं मैं
दूर कहीं ---
सूखे पत्ते का झड़ना
जमी हुई बर्फ़ का चटकना
और कर्कश कौओं का चिल्लाना !!
२
यूं ही बेवजह
बजता है / अब भी
पतझड़ राग
मन की सूनी दीवारों पर
........
यूं ही बेवजह
अनमनी सी टहलती है
सहमी हुई चाहें
नींद और जाग के दरम्यान
........
यूं ही बेवजह
उंगलियां तराश देती है
फ़िर से नया कोई बुत
भले ही पत्थर बने रहे वो
बरसों पूजने के बाद
........
यूं ही बेवजह
लौटा लेने को/ जी
चाहता है
बीते पलों का
दिलकश जादू ....!!
मन
किसी बिगड़ैल घोड़े सा
बारंबार निषिद्ध मार्गों पर
भाग जाना चाहता है सरपट
बदहवास लगाम थामे
सुनती हूं मैं
दूर कहीं ---
सूखे पत्ते का झड़ना
जमी हुई बर्फ़ का चटकना
और कर्कश कौओं का चिल्लाना !!
२
यूं ही बेवजह
बजता है / अब भी
पतझड़ राग
मन की सूनी दीवारों पर
........
यूं ही बेवजह
अनमनी सी टहलती है
सहमी हुई चाहें
नींद और जाग के दरम्यान
........
यूं ही बेवजह
उंगलियां तराश देती है
फ़िर से नया कोई बुत
भले ही पत्थर बने रहे वो
बरसों पूजने के बाद
........
यूं ही बेवजह
लौटा लेने को/ जी
चाहता है
बीते पलों का
दिलकश जादू ....!!
9 comments:
यूं ही बेवजह
उंगलियां तराश देती है
फ़िर से नया कोई बुत
भले ही पत्थर बने रहे वो
बरसों पूजने के बाद
........
यूँ ही सा ...बहुत सुन्दर लिखा है ...
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
आप सभी सुधिजनों ( ब्लागरों ) को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
डोरोथी.
सुंदर काव्य रचना...सुंदर प्रस्तुति!
यूं ही बेवजह
उंगलियां तराश देती है
फ़िर से नया कोई बुत
भले ही पत्थर बने रहे वो
बरसों पूजने के बाद
कयी बार यूँ भी होता है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड्ने लगता है
आपकी इस रचना पर ये गाना याद आ गया……………होता है ऐसा भी……………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना.
यूं ही बेवजह
उंगलियां तराश देती है
फ़िर से नया कोई बुत
भले ही पत्थर बने रहे वो
बरसों पूजने के बाद....
बहुत सुन्दर भाव और उनकी प्रस्तुति...बधाई..
http://www.sharmakailashc.blogspot.com/
ख़ूबसूरत रचनायें!!
अच्छा लगा आपको पढना
बहुत सुन्दर!!
आप सभी सुधिजनों को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
डोरोथी.
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