किसे पता है आईने का सच
भला कौन जान पाया है
उस के अंतस की बात
आईने का क्या कसूर
गर छवि दिखे
उसमें अपनी
भौंडी और बेतरतीब
पर हर बार सजा पाए
बस वही एक बेबस और बेकसूर
बिंबो और प्रतिबिंबो की
चौतरफ़ा मार झेलता
सच झूठ मिथ्या छ्ल
सभी बातों का
निरीह मूक एक साक्षी
संसार के अन्यायपूर्ण बातों और मांगो से
त्रस्त घबराया बौखलाया
ढूंढता है कोई सूना अंधेरा कोना
जहां तक न पहुंचती हो
रोशनी की कोई नन्ही सी भी किरण
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भला कौन जान पाया है
उस के अंतस की बात
आईने का क्या कसूर
गर छवि दिखे
उसमें अपनी
भौंडी और बेतरतीब
पर हर बार सजा पाए
बस वही एक बेबस और बेकसूर
बिंबो और प्रतिबिंबो की
चौतरफ़ा मार झेलता
सच झूठ मिथ्या छ्ल
सभी बातों का
निरीह मूक एक साक्षी
संसार के अन्यायपूर्ण बातों और मांगो से
त्रस्त घबराया बौखलाया
ढूंढता है कोई सूना अंधेरा कोना
जहां तक न पहुंचती हो
रोशनी की कोई नन्ही सी भी किरण
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21 comments:
सभी ही अच्छे शब्दों का चयन
और
अपनी सवेदनाओ को अच्छी अभिव्यक्ति दी है आपने.
फुर्सत मिले तो कभी 'आदत..मुस्कुराने की' र आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |
WAKAI ME AAINE KA SACH KOI NAHI JAANTA.
4/10
औसत लेखन
डोरोथी जी हम हमारे ब्लॉग पर गुरुवार को समीक्षा करते हैं रचनाओं का। यदि आपकी सहमति हो तो आपकी रचना को लें।
आने वाले समयों में....
आईना और सच क्या सोचते हैं इसका खूबसूरत भाव-चित्रण है. बहुत बढ़िया और सुंदर.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी मनोभावों को....... आसान कहाँ है आईने का सच पढ़ना
@ Sanjay ji,
@ Bhushan ji,&
@ Monica ji,
thanks for your valuable comments. they mean a lot to me. pl keep writing in.
regards,
Dorothy.
@ Ustaad ji,
Thanks for blessing me with your visit & bestowing your valuable comments on my blog. God bless ustaad ji. looking forward for your next visit.
regards,
Dorothy.
@Rajiv ji,
just be a warrior of light.(paulo koelho)
regards,
Dorothy.
@Manoj ji,
thanks for your blessings, and bestowing such an honour by choosing my poem to be showcased on your next 'charca manch'.
regards,
Dorothy.
सभी बातों का
निरीह मूक एक साक्षी
संसार के अन्यायपूर्ण बातों और मांगो से
त्रस्त घबराया बौखलाया
ढूंढता है कोई सूना अंधेरा कोना
Beautiful !
.
सच झूठ मिथ्या छ्ल
सभी बातों का
निरीह मूक एक साक्षी..
बहुत सुन्दर । आईना खामोश ही रहता है ।
ये चर्चा मंच पर नहीं "मनोज" ब्लॉग पर के लिए बात की थी।समकालीन डोगरी साहित्य के प्रथम महत्वपूर्ण हस्ताक्षर : श्री नरेन्द्र खजुरिया
@ZEAL ji,
@Dipayan ji,&
@Jaikishan ji,
thanks for your valuable comments. they mean a lot to me. pl keep writing in.
regards,
Dorothy.
@Manoj ji,
Sorry for misunderstanding your message, "mea culpa". Thanks for pointing out my mistake.
And, thanks once again for your blessings,
and bestowing such an honour by choosing my poem to be showcased on your blog.
regards,
Dorothy.
aaine ke antarman ko tatolti sundar rachna!
regards,
nice blog!!!
बहुत अच्छी कविता।
आपके शब्द सामर्थ्य की कायल हुई हूँ..
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति...
Dorothy Ji,
sabse pehle to shukriyaa aapka ki aap mere blog par aayeen aur apni ati mahattavpoorn tippani kee, main aapka follower ban gaya hoon so aata rahunga, aap bhi aate rahiyega!
Aapki rachna ke baare mein mujhe yahi kehna hai ki, shuddh aur sateek hindi ka udaahran is se acha maine pehle kabhi nahi dekha!
bahut khoob mam..
aaine ko aainaa dikhaati kavitaa..
bahut khoob mam..
aaine ko aainaa dikhaati kavitaa..
बहुत बढ़िया लेखन है आपका.
कुँवर कुसुमेश
@अनुपमा जी,
@हास्यफुहार जी,
@'अदा' जी,
@सुरेन्द्र "मुल्हिद" जी,
@मनु जी,
@कुँवर कुसुमेश जी,
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि आगे भी आप सभी का स्नेहाशीष, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. आभार.
सादर
डोरोथी.
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