उजाला दाखिल होगा दबे पांव
बंद अंधेरे कमरों में
और छोड़ जाएगा जाएगा निशान
किसी शरारती बच्चे सा
....
उजाला ढूंढ लेगा
कोई रास्ता
या चोर दरवाजा
फ़िर किसी खुशनुमा झौंके सा
रोप जाएगा खुशियों के जंगल
....
उजाले को जीना है
इस दुनिया में
अपनी ही शर्तों पर
उजाला लेगा किसी दिन
इस अंधेरी दुनिया से
अपने दमन का हिसाब !!
........
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बंद अंधेरे कमरों में
और छोड़ जाएगा जाएगा निशान
किसी शरारती बच्चे सा
....
उजाला ढूंढ लेगा
कोई रास्ता
या चोर दरवाजा
फ़िर किसी खुशनुमा झौंके सा
रोप जाएगा खुशियों के जंगल
....
उजाले को जीना है
इस दुनिया में
अपनी ही शर्तों पर
उजाला लेगा किसी दिन
इस अंधेरी दुनिया से
अपने दमन का हिसाब !!
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16 comments:
Prakaash ke aane par andhere ka ant to nishchay hi hai ...
bahhut lajawaab rachna hjai ...
आपकी रचनाएं अज्ञेय और शमशेर की याद दिलाती हैं। प्रस्तुत कविता भी। बिम्बों और प्रतीकों का ख़ूबसूरत प्रयोग, भाषा की संशलिष्टता काव्य गुणवत्ता को बढाते हैं साथ ही शिल्प की बुनावट चमत्कार पैदा करते हैं।
उजाले पर कैसे अंधेरे की कूची चलाई जाती है इसके कई उदाहरण हमारी पौराणिक कथाओं में मिलते हैं. आपने जिस उजाले की बात की है उसका स्वरूप बड़ा है परंतु उस उजाले की बात भी करता है जिसके दमन का हिसाब कोई रखता है. बहुत सुंदर रचना.
bahut sundar prastuti
BAHUT BADIYA ,BADHAI .
सुन्दर अभिव्यक्ति...
ati sunder. bahut hi khubsurat rachna.
kabhi hamare blog par bhi aane ka kasht kare.
उजाला ढूंढ लेगा
कोई रास्ता.....
बहुत सुंदर
उजाला ढूंढ लेगा
कोई रास्ता
या चोर दरवाजा
फ़िर किसी खुशनुमा झौंके सा
रोप जाएगा खुशियों के जंगल
आशान्वित करती सुन्दर रचना ....आज हर जगह अन्धकार है ...कहीं भ्रष्टाचार है तो कहीं बलात्कार है ..ऐसे में उजाला आये तो निजात मिले अँधेरे से ...बहुत से आयाम देती अच्छी रचना ..
6.5/10
छोटी सी रचना में बहुत दम है
सच कहूँ तो हिला गयी आपकी लेखनी
मुबारकबाद
बहुत गज़ब!
उजाले को जीना है
इस दुनिया में
अपनी ही शर्तों पर
उजाला लेगा किसी दिन
इस अंधेरी दुनिया से
अपने दमन का हिसाब !!
आशाओ का संचार करती एक बेहद उम्दा रचना दिल को छू गयी।
उजाला लेगा किसी दिन
इस अंधेरी दुनिया से
अपने दमन का हिसाब !!
बहुत ही अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति है
@दिगम्बर नासवा जी,
@मनोज कुमार जी,
@'Bhushan ji,
@ana ji,
@अशोक बजाज जी,
@फ़िरदौस ख़ान जी,
@ehsas ji,
@डॉ॰ मोनिका जी,
@संगीता जी,
@उस्ताद जी'
@Udan Tashtari ji,
@वन्दना जी,
@rashmi ravija ji,
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि आगे भी आप सभी का स्नेहाशीष, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. आभार.
सादर
डोरोथी.
वाकई अपनी शर्तों पर जीना ही उजाले का धर्म है और कोई भी धर्म से अलग नहीं हो सकता !
त्रिपुरारि कुमार शर्मा जी,
रचना सराहने और अपना स्नेहाशीष देकर उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आशा है कि आगे भी आप सभी का स्नेहाशीष, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. आभार.
सादर
डोरोथी.
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