हमेशा की तरह पिछले दिनों मैं काफी अस्वस्थ रही. वैसे भी सर्दियों में और मौसम के उतार चढ़ाव के वक्त में दमा और उससे जुड़ी परेशानियां कुछ ज्यादा ही तंग करती हैं. इसीलिए मुझे भी पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए काफी दिनों तक आराम करना पड़ा. इस कारणवश मैं काफी दिनों तक अपने इस ब्लाग परिवार से दूर रही.
इन दिनों मैं कुछ ज्यादा कर नहीं पाई, इसलिए अपनी एक पुरानी कविता दुबारा पोस्ट कर रही हूं. इतने दिन मैं कितना सब कुछ पढ़ने से वंचित रही, उन सबको अब पढ़ना चाहूंगी. इस सब में कुछ समय अवश्य लगेगा. आशा करती हूं कि आप सभी अपना स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन पूर्ववत बनाएं रखेंगे.
आने वाले समयों में....
संभावना बची रहे
आने वाले समयों में
जिंदगियों में हमारे
हंसने की/गाने की
रोने की/शोकित होने की
बचपने की/मूर्खताओं की
पागलपन की/गलतियों की
........
संभावना बची रहे
महज कंकड़ पत्थर
या तुच्छ कीट कीटाणु
निष्प्राण पाषाण/या
बर्बर पशु बनते जाने के,
मनुष्य बने रहने की
........
संभावना बची रहे
इस आपाधापी/कोलाहलमय
जीवनों में
आकाश की ओर ताकने की
और लहरों को गिनने की
हमारी उबड़खाबड़ जिंदगियों में
स्नेह, संवेदना एव करूणा की
कोमल कलियों के खिलने की
........
संभावना बची रहे
जीवनों के
खिलने की/पनपने की
सपने देखने की
नई सृष्टि रचने/बनने की
मनों के/अंधेरे
सर्द/सूने गलियारों में
सूरज के किरणों के
अल्हड़ ताका झांकी की
........
संभावना बची रहे
तमाम दुश्मनी और दूरियों को भूलकर
आपस में/एक दूसरे के लिए
महज मूक दर्शक/तमाशबीन बने रहने के
दर्पण और दीपक बनने की
हमसफ़र और रहनुमा बनने की
........
संभावना बची रहे
हमारी सुविधाभोगी, मौका परस्त
मतलबी, हिसाबी किताबी जिंदगियों में
कभी कभार, यूं ही
बेमकसद/बेवजह जीने की
दूसरों को अपने किसी स्वार्थ सिद्धि हेतु
महज साधन या सीढ़ी सा
इस्तेमाल करने की बजाए
उन्हें भी खुद सा समझने की
........
संभावना बची रहे
कटु कर्णभेदी शोरगुल के
आदी/अभ्यस्त हमारे मनों में
कोमल/निशब्द/शब्दहीन बातों के
पारदर्शी रूप छटा को
समझने/पहचानने की
जुबान की दहलीज पर ठिठके/सहमे
शब्दमाला से कोई सुंदर सा गीत पिरोने की
........
संभावना बची रहे
अर्धसत्यों/षडयंत्रो
छल प्रपंचो के
काई पटे कीच में
डूबते/उतराते
महज सांस भर ले पाने की
........
भागमभाग के जिन्न के
पंजो मे दबोची हुई जिंदगियों के
सांस थमने से पहले
मिले फ़ुर्सत पल भर को
भरपूर सांस ले
अपना अपना जीवन
जी पाने की
........
संभावना बची रहे
मिटने/खत्म होने हम में
छोटे छोटे स्वार्थों के लिए
गिरते हुओं को रौंदकर
सबसे आगे निकलने की प्रवृत्ति का
दूसरे की कीमत पर
खुद को बेहतर सिद्ध करने का
........
संभावना बची रहे
आने वाले समयो में
अंधेरे अंतहीन ब्लैकहोल (श्याम विवर) में
गर्क होती जिंदगियों की विरासतों का
नक्षत्र/नीहारिकाएं और
अनगिन रोशनी की लकीरें बन
अंतरिक्ष में जगमगाने का !!
........
........
40 comments:
sambhavna kabhi na rahe, aapke bimar padne ki..:)
aab dirghaun ho...aur swasth rahe...
taki sambhavna bachi rahe hame aapki achchhi kavitaon se ru-b-ru hone ko..:)
आपने अपनी कविता में उन बातों का जिक्र किया है,जो सही मायने में जिन्दगी को जिन्दगी बनाती हैं. जैसे सांस लेने के लिए वातावरण में साफ़ हवा की जरुरत होती है. सच्चे और घुटन रहित जीवन के लिए इन इन संभावनाओं का बचा रहना निहायत जरुरी है. ताकि यांत्रिक होती दुनिया में इन्सान की तरह जीने की संभावना बची रहे . धन्यबाद.
बहुत अच्छी लगी आप की यह कविता.
आराम करना भी ज़रूरी है.पहले स्वास्थ्य है बाकी सब होता ही रहता है.
सादर
संभावना बनी रहती है तभी नव निर्माण संभव हो पाता है…………बहुत ही उम्दा प्रस्तुति…………………अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें…………ये सब तो बाद के काम हैं पहला सुख तो निरोगी काया ही होता है।
bahut sarthak rachna ..
बहुत सुंदर भाव ... संभावना बची रहे मनुष्य बने रह्ने की।
आप जल्द से जल्द स्वस्थ हों, यही कामना है।
संभावना बची रहे
हमारी सुविधाभोगी, मौका परस्त
मतलबी, हिसाबी किताबी जिंदगियों में
कभी कभार, यूं ही
बेमकसद/बेवजह जीने की
दूसरों को अपने किसी स्वार्थ सिद्धि हेतु
महज साधन या सीढ़ी सा
इस्तेमाल करने की बजाए
उन्हें भी खुद सा समझने की..
बहुत सुन्दर..आज के समय में संभावना बनी रहे यही काफी है..शीघ्र स्वास्थलाभ के लिए हार्दिक कामना.
स्वास्थ्यलाभ करें और ब्लॉगजगत में जगमगायें।
ओह ! बहुत ही सुन्दर, सार्थक रचना
बहुत ही अच्छे ख्याल है आप के , काश ये सब सम्भावनाये बची रहे. सकारात्मक सोंच के साथ एक अच्छी प्रस्तुति. . आप के जल्द स्वस्थ होने की कामना है.
संभावना बची रहे
महज कंकड़ पत्थर
या तुच्छ कीट कीटाणु
निष्प्राण पाषाण/या
बर्बर पशु बनते जाने के,
मनुष्य बने रहने की
........बहुत उत्तम विचार ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
कमाल की रचना है.... संभावना के विचार में तो पूरा जीवन समा जाता है.... यह आशावादिता बनी रहे ......कृपया अपने स्वस्थ्य का ख्याल रखें.....
आमीन.
ज़िन्दगी में संभावनाएं तलाशती बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
आप की कलम को शुभ कामनाएं.
वाकई बेहद खूबसूरत रचना है!
संभावना बची रहे, मनुष्य बने रहने की।
शुक्रिया।
सम्भावना है तभी तो इन्सान जी रहा है दोस्त वर्ना कब का हार चुका होता !
सुन्दर रचना !
अपना ख्याल रखना तभी तो जीवन खुबसूरत होगा !
संभावना बची रहे
जीवनों के
खिलने की/पनपने की
सपने देखने की
नई सृष्टि रचने/बनने की
मनों के/अंधेरे
सर्द/सूने गलियारों में
सूरज के किरणों के
अल्हड़ ताका झांकी की
सकारात्मक सम्भावनाओं को बचाए रखने की ये कामनाएं सफल हों।
मन को आशावादी होना ही चाहिए।
अत्युत्तम कविता।
संभावना बची रहे
महज कंकड़ पत्थर
या तुच्छ कीट कीटाणु
निष्प्राण पाषाण/या
बर्बर पशु बनते जाने के,
मनुष्य बने रहने की
संभावना बची रहे, मनुष्य बने रहने की।
सुन्दर अभिव्यक्ति .......
zindgi me sambhavna talashti. aashaa se bhari kavita.. bahut badhiya...
gahan vichaar........
सुन्दर रचना.
Please take care of your health.
संभावना बची रहे
अर्धसत्यों/षडयंत्रो
छल प्रपंचो के
काई पटे कीच में
डूबते/उतराते
महज सांस भर ले पाने की
........
aapadhapi me kuch to raah mile
संभावनाएं अनंत होती हैं। ज़रूर बची रहेंगी।
........बहुत उत्तम विचार ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए...
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
माफ़ी चाहता हूँ
सत्य है..अच्छा घटित होनी की संभावना बची रहनी चाहिए...
यूँ ऐसी रचनाएं कभी पुराणी नहीं पड़ती...
असंख्य हृदयों की अभिलाषा को शब्द दे दिया आपने अपनी इस रचना में ..
भावुक कर दिया .....
बहुत ही सुन्दर रचना...
अपना ध्यान रखें...शीघ्र स्वस्थ होवें..
वसंत पंचमी की शुभ कामनाएं.बहुत ही सुन्दर रचना
संभावनाएं हैं इसी लिए तो जीवन है और जीवित रहने की बलवती होती इच्छाएं
डोरोथी जी... बहुत सुन्दर है आपकी ये छोटी छोटी रचनाएं ....
मै कई दिन से आपके आने का इन्तजार कर रही थी ...और सोच रही थी कि आप कहा खो गयीं ... कहीं नहीं दिख रही...
खैर ... अब आपके आने से बहुत प्रसन्नता हुवी... पूर्ण स्वास्थ हों आप..
संभावना बची रहे
आने वाले समयों में
जिंदगियों में हमारे
हंसने की/गाने की
रोने की/शोकित होने की
बचपने की/मूर्खताओं की
पागलपन की/गलतियों की
........
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बहुत ही खूब, मौलिक रचना, प्रेरणादायी........यही संभावना बचाएगी हमसे हमारी जिंदगी। बहुत सुन्दर, साथ ही ब्लॉग भी आपका बहुत ही सुंदर है बधाई। आकर बहुत ही अच्छा लगा।।
दूसरों को अपने किसी स्वार्थ सिद्धि हेतु
महज साधन या सीढ़ी सा
इस्तेमाल करने की बजाए
उन्हें भी खुद सा समझने की....
बेहतरीन रचना !
आपके स्वास्थ्य लाभ की कामना में,
दिव्या।
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बहुत ही अच्छी रचना है...
n please take care in this season...
get well soon...
Nice post .
यदि आप 'प्यारी मां' ब्लॉग के लेखिका मंडल की सम्मानित सदस्य बनना चाहती हैं तो कृपया अपनी ईमेल आई डी भेज दीजिये और फिर निमंत्रण को स्वीकार करके लिखना शुरू करें.
यह एक अभियान है मां के गौरव की रक्षा का .
मां बचाओ , मानवता बचाओ .
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/02/blog-post_03.html
संभावना बची रहे ...इंसान बन जाने की ! बहुत ही अच्छी रचना
बहुत ही सुन्दर रचना,संभावनाएं हैं इसी लिए तो जीवन है और जीवित रहने की बलवती होती इच्छाएं अच्छी रचना
बहुत सुंदर रचना
वसन्त की हार्दिक शुभकामनायें !
http://unluckyblackstar.blogspot.com/
sambhaavanaayeM to jaroor bachi rahani chahiye. sundar rachana badhaaI
जीवन है,जीवन्तता है, जिजीविषा है तो संभावनाएं भी रहेंगी, बची रहेंगी।
सुन्दर कविता हेतु आभार।
स्वास्थ्य लाभ करें, वसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
सही कहा ...जब सम्भावना बची रहती है तो ..हम होते है ..हमारा वजूद होता है ..बहुत सुंदर रचना
स्वास्थ्य लाभ करें..........
पतझड़ के मौसम में/आने वाले वसंत का सपना
घटाटोप अंधेरी रातों में/किसी उजले भोर का सपना
और उन सपनों की सुगबुगाहट/ कभी कभी
चीरकर अंधेरो की कब्र/चली आती है
सतह के ऊपर, अपनी रोशनी की बरसात लिए
और एक नया गीत बनकर बरस जाती है.......
सुंदर रचना के लिए साधुवाद!
इतनी अच्छी रचना पड़ने का मौका देने के लिए धन्यवाद
आप जल्दी से स्वस्थ हो जाये यही प्राथना है
आपको होली की बहुत सारी शुभकामनाये
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