‘जीरो वॅाट’ की फीकी बुझी रोशनी वाली जिंदगी का बोझ कमजोर कंधों पर डाले अपने क्लांत हाथों से हांफते कराहते चोटी तक पत्थर पहुंचाने के प्रयत्न में जुटे हुए हैं सदियों से अभिशप्त ‘सिसिफस’ के वंशज... यह जानते हुए भी कि चोटी पर पहुंचते ही पत्थर नीचे की ओर लुढ़क पड़ेगा पर उन्हें पत्थर को चोटी पर पहुंचाना ही है चाहे जो भी हो. इतना धैर्य इतनी कर्मठता शायद उन्हें इसीलिए ही मिली है ताकि वे समूचे संसार का बोझ बिना किसी शिकवे या शिकायत के अपने ऊपर उठा लें और बिना किसी प्रतिफल की इच्छा किए अपने छोटे से संसार में मगन रहें इस अनास्था की महारात्रि में.... प्रज्जवलित दीपों की तरह..... किन्हीं दीप स्तंभों की तरह.....
Journey towards Light
13 years ago
16 comments:
Very nice post
सिसिफ़स के बारे में कुछ और जानकारी मिल पाती तो बेहतर होता. भारतीय पौराणिक कथाओं के संदर्भ में ये कर्मठ लोग राजा महाबली (मावेली) के वंशज जान पड़ते हैं. सिसिफ़स के स्पेलिंग देने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि मैं इस मिथकीय पात्र को जान सकूँ.
ज्योति पर्व के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
भूषण जी,
मैंने कभी सिसिफस के बारे मे पढ़ा था जिसने मुझे काफ़ी प्रभावित किया था. "अनास्था की महारात्रि", जो जीवन के बिखराव और टूटन का प्रतीक है. यहां पर मैंने उस ग्रीक / युनानी मिथकीय पात्र के बिंब को सरल सहज साधारण जीवन को दर्शाने के लिए प्रयुक्त किया है जो उसी की तरह आज भी उसी की तरह जीने के लिए अभिशप्त है. सिसिफस की स्पेलिंग sisyphus है.
आप ने जो जानकारी साझा की उस के लिए धन्यवाद. आभार.
सादर
डोरोथी.
ाच्छी लगी रचना मैने कभी सिसिसफ के बारे मे नही पढा था धन्यवाद। शुभकामनायें।
अच्छी जानकारी देती पोस्ट
http://urvija.parikalpnaa.com/2010/11/blog-post_06.html
यद्यपि कर्मठता से सभी वांछित फल सदैव सम्भव नहीं होते,ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन का सूत्र कर्मठता को बनाने से बहुत कुछ अवश्य हासिल किया जा सकता है।
बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक पोस्ट..
.
प्रिय डोरोथी,
बहुत ही प्रेरणादायी प्रस्तुति के लिए बधाई। सिसीफस की लगन और कर्मठता के दार्श्नानिक रूप की बेहतरीन प्रस्तुति। यदि यही पैशन हम अपने अन्दर पैदा कर सकें , तो कोई भी मंजिल हमसे दूर नहीं रह सकती ।
.
ek nai jankari ke liye dhanyavad
aur
deepotsav ki bahut bahut badhai aur shubhkamnaen
सिसिफस की जानकारी मेरे लिए बिलकुल नई है.जानकारी में इजाफा हुआ. पोस्ट प्रेरणादायी है.
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ... ...
Sisyphus was son of King Aeolus of Thessaly and Enarete, and the founder and first king of Ephyra (supposedly the original name of Corinth). He was the father of Glaucus, Ornytion, Almus, and Thersander by the nymph Merope, the brother of Salmoneus, and the grandfather of Bellerophon through Glaucus. King Sisyphus promoted navigation and commerce but was avaricious and deceitful. He also killed travellers and guests, a violation of Xenia which fell under Zeus' domain. He took pleasure in these killings because they allowed him to maintain his iron-fisted rule. Sisyphus and Salmoneus were known to hate each other as Sisyphus had consulted with the Oracle of Delphi on just how to kill Salmoneus without incurring any severe consequences for himself. From Homer onwards, Sisyphus was famed as the craftiest of men. He seduced Salmoneus's daughter Tyro in one of his plots to kill Salmoneus, only for Tyro to slay the children she bore by him when she discovered that Sisyphus was planning on eventually using them to dethrone her father. King Sisyphus also betrayed one of Zeus' secrets by telling the river god Asopus of the whereabouts of his daughter Aegina (an Asopides who was taken away by Zeus) in return for causing a spring to flow on the Corinthian Acropolis
Thanks GK Linkzone for providing useful details regarding Sisyphus.
Post a Comment