अपनी अंतहीन यात्राओं में
यहां से वहां
इधर से उधर
गुजरते हुए
तूफ़ान देखता है कोई सपना
जाने
कहां ले जाता है
समेटकर सबको
उन सूखे पत्तों
और टूटे ख्वाबों को
शायद
किसी नई दुनिया में
किसी अनजान शहर
या फ़िर अनजान नगर में
...
जहां
झरता है
चारो ओर
हर वक्त
सूखे पत्तों का चूरा
और
टूटे ख्वाबों का मलबा
...
उस सूने उजाड़
नगर या शहर में
तूफ़ान
बहा ले आता है
अपने संग
घुटन भरी
श्वासों में
आसुओं में
छिपी नमी
जो बरसती है
बारिश की
भीनी भीनी
फ़ुहार बनकर
और बंजर जमीं में भी
बिछ जाती है
हरियाली की मखमली चादर
नवाकुरों कोपलों
और कलियों का
पालना बनकर
...
...
यहां से वहां
इधर से उधर
गुजरते हुए
तूफ़ान देखता है कोई सपना
जाने
कहां ले जाता है
समेटकर सबको
उन सूखे पत्तों
और टूटे ख्वाबों को
शायद
किसी नई दुनिया में
किसी अनजान शहर
या फ़िर अनजान नगर में
...
जहां
झरता है
चारो ओर
हर वक्त
सूखे पत्तों का चूरा
और
टूटे ख्वाबों का मलबा
...
उस सूने उजाड़
नगर या शहर में
तूफ़ान
बहा ले आता है
अपने संग
घुटन भरी
श्वासों में
आसुओं में
छिपी नमी
जो बरसती है
बारिश की
भीनी भीनी
फ़ुहार बनकर
और बंजर जमीं में भी
बिछ जाती है
हरियाली की मखमली चादर
नवाकुरों कोपलों
और कलियों का
पालना बनकर
...
...
50 comments:
जहां
झरता है
चारो ओर
हर वक्त
सूखे पत्तों का चूरा
और
टूटे ख्वाबों का मलबा
बहुत ही गहरी बात कहती है यह कविता।
बहुत दिन बाद आपने लिखा है आशा है अब जल्दी जल्दी आपकी रचनाएँ पढ़ने को मिलती रहेंगी।
सादर
वाह! आपकी कविता ने अंतर्मन को झकझोर दिया !
बहुत सुन्दर!
आभार!
गहन भावों की लाजवाब रचना
ख्वाबों का बनना बिगड़ना, यही जीवन की रीति है।
मर्मस्पर्शी एवं भावपूर्ण काव्यपंक्तियों के लिए कोटिश: बधाई !
वाह...ह्रदय स्पर्शी अतिसुन्दर कविता...
आनंद आ गया पढ़कर...
आभार.
जीवन आग के पंखों पर उड़ता है. आनंद जलते ईँधन का नहीं, उड़ने के अनुभव का होता है. खुशी के लम्हों को याद रख कर जीवन बेहतर बीतता है. सुंदर कविता, सुंदर भाव, स्वागत और डोरोथी के लिए शुभभावनाएँ.
कविता मन को झकझोड़ती है। वही आशा और विश्वास साथ भी है।
aisa lagta hai jaise ki sari bhawnawo ko is kavita me udel diya hai dil ko chhu gai.......................
toofan ke dono roop bahut sashakt roop se prastut kiye.
गहन भावों की अनुपम प्रस्तुति.
मन को छूती है.
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
और बंजर जमीं में भी
बिछ जाती है
हरियाली की मखमली चादर
नवाकुरों कोपलों
और कलियों का
पालना बनकर
Ye huee sakaratmaktaa!
नवाकुरों कोपलों
और कलियों का
पालना बनकर
bahut sunder abhivyakti ...
shubhkamnayen.
बेहतरीन कविता बधाई और शुभकामनायें |
मन से की गई अभिव्यक्ति.
स्वागतम् स्वागतम् … पुनर्स्वागतम् !
होली के बाद से आपकी अनुपस्थिति खटक रही थी …
डोरोथी जी
सब कुशल मंगल तो है… घर-परिवार में सभी स्वस्थ-सानन्द हैं न !
बहुत बहुत मंगलकामनाएं हैं …
************************************************
कविता आज भी अच्छी है हमेशा की तरह
जो बरसती है
बारिश की
भीनी भीनी
फ़ुहार बनकर
…और बंजर ज़मीं में भी
बिछ जाती है
हरियाली की मखमली चादर
नवाकुरों कोपलों और कलियों का
पालना बनकर … … …
बहुत सुंदर ! आपकी रचना कितने ही झंझावातों के बाद भी एक सुखद एहसास तक ले जाने में समर्थ है …
आभार !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर .. तुफानो ने भी टूटे ख्वाबो को एक सुन्दर आयाम दे दिया .. बहुत सुंदर कल्पना को सुन्दर अंदाज में शब्दों की आवाज दे डाली आपने .. अति सुन्दर ..बधाई
बहुत ही खूबसूरती अभिवयक्ति...
sunder rachna...
अति सुन्दर |
बधाई ||
ख़्वाबों का तूफ़ान देखना ..मलबा बन जाना ... फिर आशा की किरण ..बहुत गहन रचना ...
बहुत दिनों बाद दस्तक दी है ..
गहरे भाव ,सुंदर अभिव्यक्ति
अलग दृष्टिकोण... गहरा चिंतन... बेहतरीन रचना...
सादर...
जहां
झरता है
चारो ओर
हर वक्त
सूखे पत्तों का चूरा
और
टूटे ख्वाबों का मलबा..
बहुत गहन अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
There is spring after every winter. Nicely expressed thoughts.
जहां
झरता है
चारो ओर
हर वक्त
सूखे पत्तों का चूरा
और
टूटे ख्वाबों का मलबा
वाह बहुत सुंदर...
विनाश के बाद निर्माण तो होता ही है ... नव अंकुर तो फूटते है हैं ... अच्छी रचना है ..
आदरणीय डोरोथी जी
नमस्कार !
मर्मस्पर्शी एवं भावपूर्ण.......रचना....आभार..!
बहुत दिनो बाद आईं मगर हमेशा की तरह मनभावन कविता लेकर आई हैं………………बहुत सुन्दर कविता दिल को छू गयी।
bahut dine ke baat darshan huya aapke....
aaate hee khoobsoorat rachna likh daali aapne!!
हर कष्ट के बाद कुछ नयी कोंपलें नज़र आती हैं ...प्रकृति का नियम यही है और चलता रहेगा ! एक खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए बधाई !
नमस्कार, डोरोथी जी. होली के बाद आपकी यह पहली कविता पढने को मिल रही है. काफी लम्बा इन्तजार करना पड़ा हमें. इस इन्तजार के बाद लिखी कविता में दर्द के मंजर हैं, घुटन और पीड़ा के तूफान हैं, तो दर्द से आशा की बारिश भी होती है. रेगिस्तान में हरियाली की उम्मीद को समेटे हुए आपकी यह कविता मन के किसी कोने में जमा रंजो-गम की तह पर आकर संवाद करती है.
बहुत दिनों बाद आप ने लिखा है पर लिखा ऐसा कि मन को छू गया ।
तूफ़ान
बहा ले आता है
अपने संग
घुटन भरी
श्वासों में
आसुओं में
छिपी नमी
जो बरसती है
बारिश की
भीनी भीनी
फ़ुहार बनकर
और बंजर जमीं में भी
बिछ जाती है
हरियाली की मखमली चादर
नवाकुरों कोपलों
और कलियों का
पालना बनकर
बहुत अच्छी रचना ....
बहुत बहुत मंगलकामनाएं .
sunder kvita
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ek alag si rachna...barsaat ke bune padne ke baad jaise soundhi soundhi khushbooo aati hai mitti se .......waisa hi kuchh:)
badhai!
रचना में जो भाव है बहुत ही सुन्दर हैं सबसे खूबसूरत पंक्तियां है यें...
और बंजर जमीं में भी
बिछ जाती है
हरियाली की मखमली चादर
नवाकुरों कोपलों
और कलियों का
पालना बनकर
Very nice creation !
हिर्दयस्पर्शी,गहन अभिब्यक्ति लिए हुए अनूठे भाव से लिखी बेमिसाल रचना /बधाई आपको /
बेहतरीन रचना
दिल को छू लेने वाली कविता।
bahut hi achhi gahri gahri rachna
bahut achchi rachna.dil ke bhaavon ko ujagar karti hui.first time aapke blog par aai hoon.thanx for ur kind comment on my blog.
कविता तो सुंदर है ही, ब्लाग का डिजाइन भी बहुत पसंद आया।
शुभकामनाएं
toofaan se bhee aisa sundar sapanaa saj skataa hai ?
satish
kisee toofaan se bhee aisa sundar sapanaa saj sakataa hai ? ye jaadoo to kavita ke paas hee sambhav hai.
दुख के बाद ही सुख आता है अन्धेरा चल पडता है एक नै सुबह लेने के लिये। तूफाँ के बाद एक बार जीवन को फिर अवसर मिलता है सब कुछ भूल कर आगे बढने ,नई मंजिल पाने का। जीवन के दुख सुख मे आशा का दीप जलाती सुन्दर रचना।
Beautiful Blog!!.. keep writing!
आसुओं में
छिपी नमी
जो बरसती है
बारिश की
भीनी भीनी
फ़ुहार बनकर
और बंजर जमीं में भी
बिछ जाती है
हरियाली की मखमली चादर
नवाकुरों कोपलों
और कलियों का
पालना बनकर
बेहद प्रभावशाली कविता।
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