मां को गुजरे कई साल बीत चुके हैं, पर फ़िर भी लगता है कि वो आज भी आस पास है. जीवन के हर पल में रची बसी और गुंथी उनकी यादें खुश्बू बन महकती रहती है आज भी... उन्हीं स्मृतियों के नाम कुछ पंक्तियां...
मां के जन्मदिन पर...
आंखों से भले हो ओझल
आज मां तू
पर आज भी
लगता है कि
यहीं कहीं
बहुत करीब है तू
तेरी परछाई के
एक कण से भी
जो मिले कही पर
तो संवर जाए
मन का उदास कोना
पर ढूंढे से भी तो
नहीं मिलती है
तुम्हारी कोई परछाई
...
पर दिल में बसी
तेरी यादें
जब तब चली
आती है बाहर
समय के झीने से पर्दे
को चीरकर
और
अंधेरे सूने उदास
एवं खाली खाली से
इस जीवन में
फ़ैला जाती है
अपने प्रेम का
अदभुत उजास
जो
सूनी अंधेरी रातो में भी
बनकर ध्रुव तारा
ताकता है
एकटक अपलक
अपनी स्थिर
प्रदीप्त नेत्रों से
मेरा एक एक कदम
जैसे किया था
जीवन भर
उलझनों से बचाता
और रास्ता दिखाता
...
आज भी
सपना बन
रोज ही
सहलाता है
मेरी बेचैन नींदों को
मां तेरा मृ्दुल कोमल स्पर्श
हर हार के बाद उठना
हर चोट के बाद हंसना
मां क्या क्या नहीं सिखाता है
तेरा निश्छल प्यार...
खुद को भूल
दूसरे के लिए जीना
खुद को बेमोल बेच देना
खामोश दुआ सी
सबके आसपास
बने रहना
हर बात को
आड़ और ढाल
बन झेलना
पर
अपने प्रियों तक
किसी आंच या
तूफ़ान को
टिकने या
ठहरने नहीं देना
अपनी आंचल की ओट में
समूची दुनिया को
सहेज के रखना
बिसराए जाने पर भी
सिर्फ़ आशीष बरसाते रहना
जिंदगी के कटु
कोलाहल में भी
हर वक्त किसी मद्धम
कोमल राग सा बजना
...
तेरी यादों की खुश्बू
बसी रहे यूं ही
जीवन के अंत दिनों तक
हमारे इस घुटन भरे
असहज जीवन में
अब तो
बीतते है
मेरे हर दिन
तेरी परछाई बन
जीने की ख्वाहिश में
और मेरी हर रात
करती है इंतजार
तेरे मृ्दुल स्पर्श का
आज भी...
मां के जन्मदिन पर...
आंखों से भले हो ओझल
आज मां तू
पर आज भी
लगता है कि
यहीं कहीं
बहुत करीब है तू
तेरी परछाई के
एक कण से भी
जो मिले कही पर
तो संवर जाए
मन का उदास कोना
पर ढूंढे से भी तो
नहीं मिलती है
तुम्हारी कोई परछाई
...
पर दिल में बसी
तेरी यादें
जब तब चली
आती है बाहर
समय के झीने से पर्दे
को चीरकर
और
अंधेरे सूने उदास
एवं खाली खाली से
इस जीवन में
फ़ैला जाती है
अपने प्रेम का
अदभुत उजास
जो
सूनी अंधेरी रातो में भी
बनकर ध्रुव तारा
ताकता है
एकटक अपलक
अपनी स्थिर
प्रदीप्त नेत्रों से
मेरा एक एक कदम
जैसे किया था
जीवन भर
उलझनों से बचाता
और रास्ता दिखाता
...
आज भी
सपना बन
रोज ही
सहलाता है
मेरी बेचैन नींदों को
मां तेरा मृ्दुल कोमल स्पर्श
हर हार के बाद उठना
हर चोट के बाद हंसना
मां क्या क्या नहीं सिखाता है
तेरा निश्छल प्यार...
खुद को भूल
दूसरे के लिए जीना
खुद को बेमोल बेच देना
खामोश दुआ सी
सबके आसपास
बने रहना
हर बात को
आड़ और ढाल
बन झेलना
पर
अपने प्रियों तक
किसी आंच या
तूफ़ान को
टिकने या
ठहरने नहीं देना
अपनी आंचल की ओट में
समूची दुनिया को
सहेज के रखना
बिसराए जाने पर भी
सिर्फ़ आशीष बरसाते रहना
जिंदगी के कटु
कोलाहल में भी
हर वक्त किसी मद्धम
कोमल राग सा बजना
...
तेरी यादों की खुश्बू
बसी रहे यूं ही
जीवन के अंत दिनों तक
हमारे इस घुटन भरे
असहज जीवन में
अब तो
बीतते है
मेरे हर दिन
तेरी परछाई बन
जीने की ख्वाहिश में
और मेरी हर रात
करती है इंतजार
तेरे मृ्दुल स्पर्श का
आज भी...
50 comments:
marmsarshi rachna ...
sach me maa ki yaad man se kabhi nahin jati ...
maa ko naman ...un yadon ko naman...
अदभुत, भावभीनी, हृदय स्पर्शी.
माँ का प्यार विलक्षण हैं,
माँ की यादें अनमोल हैं.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
बिसराए जाने पर भी
सिर्फ़ आशीष बरसाते रहना
जिंदगी के कटु
कोलाहल में भी
हर वक्त किसी मद्धम
कोमल राग सा बजना
माँ की इससे बेहतर और क्या छवि हो सकती है. मैं माँ के कोमल राग को आज भी सुनता हूँ. आपकी कविता ने बहुत कुछ याद दिलाया. आपके माता जी और मातृत्व को नमन.
माँ के प्रति आदर सम्मान लिए आपकी कविता
माँ को नमन
भावपूर्ण अभिव्यक्ति और अपार स्नेह,आदर भरे शब्द..........बहुत बहुत बधाई...
maaki yad beti ke dil se kabhi nahi jaa sakti hai marmik prastuti
आपकी कविता ने मानो हर बच्चे को आवाज़ दी।
bahut hi achchi prastuti...achcha laga padhkar
माँ तो हर वक्त हमारी सांसों मे बसी है उन्हे कैसे भूल सकते है.
बहुत स्पर्शमयी रचना.
माता जी को सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।
ma ke liye ek beti ki aisa likh skti hai .is jzbe ko slaam .
आँखें नम करती रचना .... माताजी को नमन
बहुत भावपूर्ण रचना.. माता जी को सादर नमन.
maa to hamesha saath hoti hai .... chaliye is khaas din mein hum saath ho jayen
कोमल और मृदुल भावों से रची मार्मिक रचना।
माँ तो आखिर माँ है... जो हमारे असित्व का आधार है....
maata ji ke janmdin ki haardik badhaayi! wo aaple aas paas hee hain!!
और मेरी हर रात
करती है इंतजार
तेरे मृ्दुल स्पर्श का
आज भी..
अति सुन्दर
बहुत ही खूबसूरत से शब्द दिये हैं आपने ...यादों को
बेहद सुन्दर रचना ...
माँ को नमन .... माँ के प्रति आदर सम्मान लिए आपकी कविता
खूबसूरत है.
माँ को समर्पित प्यारे एहशास के साथ बेहतरीन कविता..
हृदयस्पर्शी रचना....
माँ तो माँ होती है ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ..........
बहुत बहुत बधाई ...........
ह्रदय को झंकृत करती रचना .बहुत बहुत बधाई माताजी को |
बहुत सुंदर रचना
वशीर बद्र की दो लाइनें याद आ रही हैं
ये अंधेरे देख ले, मुंह तेरा काला हो गया
मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया.
सूनी अंधेरी रातो में भी
बनकर ध्रुव तारा
ताकता है
एकटक अपलक
अपनी स्थिर
प्रदीप्त नेत्रों से
मेरा एक एक कदम
जैसे किया था
जीवन भर
उलझनों से बचाता
और रास्ता दिखाता
बहुत भावपूर्ण श्रधांजलि
http://www.parikalpnaa.com/2011/07/blog-post_69.html
sunder avum bhavuk abhivykti ......
Vinamr shruddhanjalee .
मां को नमन...आपका काव्यात्मक वर्णन अतयन्त प्रभावशाली रहा...आपको भी बधाई
माँ तो माँ ही होती है |चाहे जितनी भी उम्र हो जाए उसकी यादें
धूमिल तक नहीं होती |वह हर पल आस पास ही नजर आती है |
बहुत प्यारी रचना |बधाई
आशा
तेरी यादों की खुश्बू
बसी रहे यूं ही
जीवन के अंत दिनों तक
मां की पवित्र स्मृति को शत-शत नमन।
sundar bhavpoorn aur marmsparshi abhivyakti ...
मां की तो याद ही ऐसी है....
भावों को सुंदर शब्द दिये हैं...
आपके साथ जुड़ भी गई...
आप भी आइए...
हृदयस्पर्शी रचना. माँ की स्मृतियां भी विस्मृत कर देती हैं. सुंदर रचना के लिए बधाई.
माँ तो माँ होती है।
भावमयी प्रस्तुति...माँ को नमन.
__________________
'शब्द-शिखर' : स्लट-वाक और बे-शर्म लोग
मां की पवित्र स्मृति को शत-शत नमन।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
माँ और ममता के प्रति
आपका समर्पण ,,,
यह खूबसूरत रचना
माँ को नमन .
behad bhawbhini.......komal kavita.
डोरोथी जी माँ की सम्वेदना से जुड़ीं एक अनुपम कविता आपको इस सृजन के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
Maa ke janamdin ka isse pyara uphar aur kya hoga...
bahut sundar mamtamayee prastuti ke liye aabhar!
दिल को छू जाने वाली रचना....
धन्यवाद
http://www.aarambhan.blogspot.com
bahut hi marmik rachna.............
तेरी परछाई बन
जीने की ख्वाहिश में
और मेरी हर रात
करती है इंतजार
तेरे मृ्दुल स्पर्श का
आज भी...
maa jaisa koi aur kahan ,man ko chhoone wali rachna ,kal aai rahi magar net band ho gaya tha to tippani nahi kar saki .
क्या यकीन करेंगी आप यदि ये कहूँ की आपकी रचना को पढ़ते वक्त आंखें पोछ्नी पड़ी और अब जबकि कमेन्ट दे रही हूँ तब भी आंखें नाम हैं ..... किसी एक लाइन को कह ही नहीं सकती की ' अच्छी हैं ' .... एहसासों को अलग अलग कैसे करूँ की ये ज्यादा अच्छें है ..... एक बहुत भावुक और दिल को छु लेने वाली रचना ....
.
डोरोथी जी
बहुत संवेदनशील रचना है … पलकें नम हो गईं …
( अभी मेरी माताजी का स्वास्थ्य सही नहीं चल रहा … )
हमारे माता-पिता हमसे कभी दूर नहीं होते …
कृपया , आप धैर्य , साहस और उत्साह हमेशा बनाए रहें …
आपकी पूज्य मां को मेरा सादर नमन !
शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
so nice post
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .And happy birth day to you.
एस .एन. शुक्ल
माँ को नमन...मन को छूगई रचना..
माँ एक शब्द चित्र माँ को सजीव करता ....
कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
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