गमलों में जतन/ और
ढेरों दुलार से उगाए
गुलाब के फूल/ या
आर्किड के पुष्प
या/ फ़िर
उपवनों में
प्यार की छांव में
पनपते
डैफ़ोडिल/ ट्युलिप
की कतार!
.....
इनसे
अक्सर कमतर
ही ठहरते हैं
तपते रेगिस्तानों में
खिलते
नागफ़नी के फूल!
जो
आस पास से/ गुजरती
हवा की नमी महसूस
और
तपते रेगिस्तान के
अंतर में दफ़्न
रीतते जाते
पानी की एक एक बूंद
सहेज
खिलते हैं
अल्हड़ लापरवाह
और उद्दंड से
और मुर्झा जाते हैं
बिन सराहे
....
बिन कराहे
ढुलक जाते हैं
काल के गाल से
आंसू बन कर
धरती भी कराहती है
उन के मूक क्रंदन से
और बादल भी रोता है
अपनी बदनसीबी पर
....
पर
नागफ़नी का फूल
उन की आहों/ और
आंसुओं को भी
सहेज लेता है
आशीष समझ कर
अपने ही भीतर
तभी / तो
उस के अंतर में
पलता है
नमी का समंदर
जो कभी कभी
मरहम बन
देता है
लोगों को
अपना शीतल स्पर्श
और/ रेगिस्तान में
खिलखिलाहट बन
गूंजता है
दूर तक
....
नागफ़नी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही
और/ हो जाता है विदा
एक दिन दुनिया से
बिना किसी शिकवे या
शिकायत के!!
...
...
ढेरों दुलार से उगाए
गुलाब के फूल/ या
आर्किड के पुष्प
या/ फ़िर
उपवनों में
प्यार की छांव में
पनपते
डैफ़ोडिल/ ट्युलिप
की कतार!
.....
इनसे
अक्सर कमतर
ही ठहरते हैं
तपते रेगिस्तानों में
खिलते
नागफ़नी के फूल!
जो
आस पास से/ गुजरती
हवा की नमी महसूस
और
तपते रेगिस्तान के
अंतर में दफ़्न
रीतते जाते
पानी की एक एक बूंद
सहेज
खिलते हैं
अल्हड़ लापरवाह
और उद्दंड से
और मुर्झा जाते हैं
बिन सराहे
....
बिन कराहे
ढुलक जाते हैं
काल के गाल से
आंसू बन कर
धरती भी कराहती है
उन के मूक क्रंदन से
और बादल भी रोता है
अपनी बदनसीबी पर
....
पर
नागफ़नी का फूल
उन की आहों/ और
आंसुओं को भी
सहेज लेता है
आशीष समझ कर
अपने ही भीतर
तभी / तो
उस के अंतर में
पलता है
नमी का समंदर
जो कभी कभी
मरहम बन
देता है
लोगों को
अपना शीतल स्पर्श
और/ रेगिस्तान में
खिलखिलाहट बन
गूंजता है
दूर तक
....
नागफ़नी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही
और/ हो जाता है विदा
एक दिन दुनिया से
बिना किसी शिकवे या
शिकायत के!!
...
...
51 comments:
bahut samvedansheel rachna. is post me nagfani ke fool ki pics bhi lagate to acchha hota.
बाहर के काँटें ही दिखते हैं सबको, मन की कोमलता कैसे सामने आये?
नागफनी के फूल का दर्द आपने समझा , क्या बात है क्या सोंच है बधाई
सच में कहाँ समझ पाते हैं हम मन की बात ...जो बाहर दिख रहा है उसे जान पाते हैं.... सुंदर बिम्ब सुंदर रचना
नागफणी के बिम्ब से जीवन की विसंगतियों को आपने बहुत अच्छी काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है, बिल्कुल एक नई सोच के साथ!
सुन्दर बिम्ब प्रयोग किया है ..ऐसे ही बहुत से इंसान भी नागफनी का रूप रखे होते हैं
नागफ़नी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही
और/ हो जाता है विदा
एक दिन दुनिया से
बिना किसी शिकवे या
शिकायत के!!
Aah!Aise kitnehee log hote honge!
नागफ़नी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही
और/ हो जाता है विदा
एक दिन दुनिया से
बिना किसी शिकवे या
शिकायत के!!
ye to sach hai sundar rachna
नागफनी के फूल का दर्द आपने समझा बहुत सुंदर !
कविता को एक नए अंदाज़ में परिभाषित किया है आप ने !
बिन कराहे
ढुलक जाते हैं
काल के गाल से
आंसू बन कर
धरती भी कराहती है
उन के मूक क्रंदन से
और बादल भी रोता है
अपनी बदनसीबी पर... gahan umadte bhaw
Beautiful creation !
जो तप कर निखरे,वही कुंदन।
ऐसे जाने कितने ही नागफनी के फुल हमारे समाज में गुमनामी के अंधेरों में गुम हो जाते है सुन्दर प्रस्तुति
bahut sunder bhavna poorn rachna...khasker ke ye lines...
नागफ़नी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही
और/ हो जाता है विदा
एक दिन दुनिया से
बिना किसी शिकवे या
शिकायत के!!
नागफ़नी के दर्द को बहुत ही गहराई से उकेरा है।
behtreen abhivaykti man ki...
उदासी की धार पर चली कविता कविता के तौर पर अच्छी लगी.
सुन्दर!
बिम्ब भी, काव्य भी, सन्देश भी
बहुत सुन्दर रचना.
jeevan ka kathor sach chhipa hai isme...
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
बहुत सुन्दर...बधाई
मेरे ब्लॉग जज़्बात पर आपकी टिप्पणी का बहुत शुक्रिया.......अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर.......कितना खूबसूरत लिखा ही आपने.....नागफनी के माध्यम से बहुत गहरा सन्देश छोडती है ये पोस्ट.....आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ.......फुर्सत मिले तो हमारे अन्य ब्लॉग भी देखें|
डोरथी .. कविता ने मन को कहीं रोक सा दिया है .. आज के जीवन का सच लिखा दिया है आपने ..
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
bahut hee badhiyaa!!
बहुत ही गहरी सोच ...
अल्हड़ लापरवाह
और उद्दंड से
और मुर्झा जाते हैं
बिन सराहे
सारगर्भित एवं प्रेरक रचना दिल को छू गई।
आभार।
नागफ़नी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही
और/ हो जाता है विदा
एक दिन दुनिया से
बिना किसी शिकवे या
शिकायत के!!
superb lines.....thanx..:)
किस्से करे शिकायत ...??
कौन सुनेगा यहाँ पत्थरों में ...
आभार एक बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति से रूबरू कराने के लिए !
नागफ़नी का फूल
उन की आहों/ और
आंसुओं को भी
सहेज लेता है
आशीष समझ कर
अपने ही भीतर
जीवन्त विचारों की बहुत सुन्दर रचना !
मै पहली बार यहाँ आई हूँ ..अच्छा लगा मेरे ब्लांग में आने के लिए धन्यवाद..आप की रचना बहुत गहन अनुभूति लिए सार्थक प्रस्तुतिहै...
सुंदर कविता बधाई डोरोथी जी
बहुत भावपूर्ण रचना |बधाई
आशा
mai naagphani ka phool to nahi ban sakti par uski kuch khoobiyon ko apnane ki koshish jaroor karoongi...
thank you so much for writing so beautiful poem...
बिन कराहे
ढुलक जाते हैं
काल के गाल से
आंसू बन कर
धरती भी कराहती है
उन के मूक क्रंदन से
और बादल भी रोता है
अपनी बदनसीबी पर
नागफनी की व्यथा को रेखांकित करती एक विशिष्ट कविता।
जीवन संघर्ष को रूपायित करती खूबसूरत अंदाज़ वाली रचना ,व्यंग्य भी समेटे है अपने कलेवर में -सजावटी और कुदरती का अंतर भी -फुलवारी का शौक़ीन मिला ,हर घर पत्थर का बना हुआ .
कृपया यहाँ भी पधारें .Super food :Beetroots are known to enhance physical strength,say cheers to Beet root juice.Experts suggests that consuming this humble juice could help people enjoy a more active life .(Source: Bombay Times ,Variety).
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_07.html
ताउम्र एक्टिव लाइफ के लिए बलसंवर्धक चुकंदर .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
आपके पास दोस्तो का ख़ज़ाना है,
पर ये दोस्त आपका पुराना है,
इस दोस्त को भुला ना देना कभी,
क्यू की ये दोस्त आपकी दोस्ती का दीवाना है
⁀‵⁀) ✫ ✫ ✫.
`⋎´✫¸.•°*”˜˜”*°•✫
..✫¸.•°*”˜˜”*°•.✫
☻/ღ˚ •。* ˚ ˚✰˚ ˛★* 。 ღ˛° 。* °♥ ˚ • ★ *˚ .ღ 。.................
/▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY MY FRENDS ˚ ✰* ★
/ .. ˚. ★ ˛ ˚ ✰。˚ ˚ღ。* ˛˚ 。✰˚* ˚ ★ღ
!!मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!
फ्रेंडशिप डे स्पेशल पोस्ट पर आपका स्वागत है!
मित्रता एक वरदान
शुभकामनायें
जो कभी कभी
मरहम बन
देता है
लोगों को
अपना शीतल स्पर्श
और/ रेगिस्तान में
खिलखिलाहट बन
गूंजता है
दूर तक
....
नागफनी के माध्यम से आप ने ुन सब लोगों का उत्साह बढाया है जो बिना किसी सराहना के अपने आसपास के परिवेश में कुछ न कुछ
सुधार कार्य करते ही रहते हैं । बेहद भावस्पर्शी कविता.
नागफनी का उदाहरण कुछ हट कर लगा ......
'नागफनी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही ....'
.......गहन अंतर्भावों की अद्भुत प्रस्तुति
रेगिस्तान के कंटीले फूल का इतना खूबसूरत चित्रण....आपने रेगिस्तान को सदाबहार रूप दे दिया..
बहुत ही सुन्दर
ब्लॉग की 100 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है!
!!अवलोकन हेतु यहाँ प्रतिदिन पधारे!!
jab se ye post aaee hai niyam se roj pad rahee hoo par ise rachana par tippanee karne layak yogyata mujhme nahee hai........
itna hee likh pa rahee hoo ki man kee gahraaee tak pahuchee hai ye rachana.
Thus let me live, unseen, unknown;
Thus unlamented let me die;
Steal from the world, and not a stone
Tell where I lie. ( Solitude by Alexander Pop)
आपने अलेक्जेंडर पोप की इस कविता की याद ताजा कर दी। बहुत ही बेहतरीन कविता। आपको बधाई।
गहन भावों की सुन्दर प्रस्तुति
बिन कराहे
ढुलक जाते हैं
काल के गाल से
आंसू बन कर
धरती भी कराहती है
उन के मूक क्रंदन से
और बादल भी रोता है
अपनी बदनसीबी पर
डोरोथी जी आपकी यह रचना तो सच में उत्कृष्ट है ..!बहुत सुंदर भाव उकेरे हैं ..!
बधाई एवं शुभकामनायें.
गहरे भाव के साथ बहुत ख़ूबसूरत कविता लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
नागफ़नी का फूल
मगर रोता है
अकेले ही
और/ हो जाता है विदा
एक दिन दुनिया से
बिना किसी शिकवे या
शिकायत के!!
...गहन भाव संजोये बहुत भावपूर्ण, मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
सच, बहुत सुंदर रचना है
धरती भी कराहती है
उन के मूक क्रंदन से
और बादल भी रोता है
अपनी बदनसीबी पर
सच है जीवन तो नागफनी के फूल में भी होता है ... अच्छी रचना है बहुत ही ...
वाह बेहतरीन |
behatrin rachna me se ek ..........!!
Post a Comment