रिश्तों के चक्रव्यूह २
कभी कभी लगता है कि हम एक दूसरे से नहीं वरन एक दूसरे के "आईडिया" से ज्यादा प्यार करते है जिन्हें हम सब में मौजूद कल्पना और सृजनशीलता साथ मिलकर अनूठे रंगो से सजा हमारे सम्मुख परोस देती है किसी स्वादिष्ट छप्पन भोग सा, जिसका स्वाद यथार्थ से साक्षात्कार के बावजूद मन के किसी कोने में शेष रहता है किसी "नास्टेल्जिया" की तरह. जहां किसी तरह के "कन्फ़लिक्ट" की गुंजाईश ही नहीं जहां अपने उन "आईडियाज" को अपने मन मुताबिक " चेंज" "अरेंज" या "री अरेंज" करने की बेहिच् आजादी है.
पर जब यथार्थ में हम एक दूसरे के करीब होते है तो दूसरे की हर कमजोरी को "मैग्नीफ़ाई" करके देखते हैं उसमें मौजूद सभी गुणों को अन्देखा करने की एक अवचेतन प्रयास के चलते जो हममें मौजूद अहं भाव का जरखरीद गुलाम मात्र है. तब हम एक दूसरे को तोड़ मरोड़कर अपने मुताबिक बना लेना चाहते है. उसे अपने जैसा बना लेने की इच्छा के वशीभूत होकर, ताकि दूसरा हमारा बन सके, हमारे साथ जी सके.... रिश्तों में भी स्वामित्व की भावना पीछा नहीं छोड़ती चाहे नतीजा हो " अगली सीन्स " या "कन्फ़्रन्टेशन".... एक बेवजह नरक!
केवल इस एक वजह के कारण कि आप दूसरे को कितना (?!) चाहते हैं, क्या हक है आपको कि आप दूसरे से "इम्पासिबल" की उम्मीद रखें अपनी जिंदगी सुविधाजनक सुख शांतिमय बनाने के लिए किसी दूसरी जिंदगी को अपने मन मुताबिक ढालने की कोशिश में उसे तोड़ मरोड़कर एक अपाहिज बनाकर छोड़ दे.... आखिर क्यो??
9 comments:
यथार्थ जीवन का ,अच्छा आलेख .
एक सकारात्मक चिन्तन जो किसी भी सच्चे इन्सान को इस बिषय पर चिन्तन करने को विवश कर दे।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
"रिश्तों में भी स्वामित्व की भावना पीछा नहीं छोड़ती"
मेरी सोच के अनुसार समस्या की जड़ यही है जिसे आपने बखूबी उजागर किया है
आपकी सोच सकारात्मक है, ऐसे ही लिखते रहें और और हिंदी ब्लोगिंग को सींचें, शुभकामनाएं !
आइडिया और ईगो ऐसे शब्द हैं जो किसी का पीछा नहीं छोड़ते...कहीं न कहीं हमारे जीवन से जुड़े रहते हैं..अच्छी पोस्ट
adhikaarlipsaa hamaari chetna ko jadibhoot karti hai.
लेख अच्छा लगा | धन्यवाद|
आप सभी सुधिजनों (ब्लागरों) को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
डोरोथी.
शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
डोरोथी.
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