अग्निपाखी

जीवन के संघर्षों के अग्निकुंड में जलते हुए अपनी ही राख से पुनर्जीवित होने का अनवरत सिलसिला....

१.

धरती के अंधेरे सूने उजाड़ कोनों में खोई हुई/और
गहराईयों में सोई हुई असंख्य उम्मीदें/ देखती हैं
कितने ही सुंदर सपने/बदलते समयों का
पतझड़ के मौसम में/आने वाले वसंत का सपना
घटाटोप अंधेरी रातों में/किसी उजले भोर का सपना
और उन सपनों की सुगबुगाहट/ कभी कभी
चीरकर अंधेरो की कब्र/चली आती है
सतह के ऊपर, अपनी रोशनी की बरसात लिए
और एक नया गीत बनकर बरस जाती है.

....


२.

आसमान से
बरसता है
रोशनी का दरिया
कतरा कतरा करके
धरती के सूने अंधेरे कोनों में
आहिस्ते आहिस्ते
अंदर तक रिसता हुआ
और अचानक ही
जगमगाने लगती है धरती
किसी बेशकीमती मणि सा...

टूटे थके और मुर्झाए जीवनों में भी
जो अंधेरों से घिरे बैठे है सदियों से
प्रवेश करता है वसंत
उम्मीदों और प्रेम की
ढेरों सौगात लिए
जिसकी झिलमिल रोशनी में
आरंभ करते है वे
अधेरे से उजाले तक का
एक नया सफ़र फ़िर से
एक नया गीत गाते हुए...

अपने टूटे पखों और
पतवारों को संभाले
देखते महसूसते
एक बार फ़िर से
अपने चारो ओर बरसते
नेह और उम्मीद की आशीषमय
बरखा के स्नेहिल स्पर्श से
पतझड़ को वसंत में बदलते हुए
और सपनों को हंसते मुस्कराते हुए...

....
....


आप सभी को वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!!!!!!!!

हमेशा की तरह पिछले दिनों मैं काफी अस्वस्थ रही. वैसे भी सर्दियों में और मौसम के उतार चढ़ाव के वक्त में दमा और उससे जुड़ी परेशानियां कुछ ज्यादा ही तंग करती हैं. इसीलिए मुझे भी पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए काफी दिनों तक आराम करना पड़ा. इस कारणवश मैं काफी दिनों तक अपने इस ब्लाग परिवार से दूर रही.

इन दिनों मैं कुछ ज्यादा कर नहीं पाई, इसलिए अपनी एक पुरानी कविता दुबारा पोस्ट कर रही हूं. इतने दिन मैं कितना सब कुछ पढ़ने से वंचित रही, उन सबको अब पढ़ना चाहूंगी. इस सब में कुछ समय अवश्य लगेगा. आशा करती हूं कि आप सभी अपना स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन पूर्ववत बनाएं रखेंगे.


-एक पुरानी कविता-

आने वाले समयों में....

संभावना बची रहे
आने वाले समयों में
जिंदगियों में हमारे
हंसने की/गाने की
रोने की/शोकित होने की
बचपने की/मूर्खताओं की
पागलपन की/गलतियों की
........

संभावना बची रहे
महज कंकड़ पत्थर
या तुच्छ कीट कीटाणु
निष्प्राण पाषाण/या
बर्बर पशु बनते जाने के,
मनुष्य बने रहने की
........

संभावना बची रहे
इस आपाधापी/कोलाहलमय
जीवनों में
आकाश की ओर ताकने की
और लहरों को गिनने की
हमारी उबड़खाबड़ जिंदगियों में
स्नेह, संवेदना एव करूणा की
कोमल कलियों के खिलने की
........

संभावना बची रहे
जीवनों के
खिलने की/पनपने की
सपने देखने की
नई सृष्टि रचने/बनने की
मनों के/अंधेरे
सर्द/सूने गलियारों में
सूरज के किरणों के
अल्हड़ ताका झांकी की
........

संभावना बची रहे
तमाम दुश्मनी और दूरियों को भूलकर
आपस में/एक दूसरे के लिए
महज मूक दर्शक/तमाशबीन बने रहने के
दर्पण और दीपक बनने की
हमसफ़र और रहनुमा बनने की
........

संभावना बची रहे
हमारी सुविधाभोगी, मौका परस्त
मतलबी, हिसाबी किताबी जिंदगियों में
कभी कभार, यूं ही
बेमकसद/बेवजह जीने की
दूसरों को अपने किसी स्वार्थ सिद्धि हेतु
महज साधन या सीढ़ी सा
इस्तेमाल करने की बजाए
उन्हें भी खुद सा समझने की
........

संभावना बची रहे
कटु कर्णभेदी शोरगुल के
आदी/अभ्यस्त हमारे मनों में
कोमल/निशब्द/शब्दहीन बातों के
पारदर्शी रूप छटा को
समझने/पहचानने की
जुबान की दहलीज पर ठिठके/सहमे
शब्दमाला से कोई सुंदर सा गीत पिरोने की
........

संभावना बची रहे
अर्धसत्यों/षडयंत्रो
छल प्रपंचो के
काई पटे कीच में
डूबते/उतराते
महज सांस भर ले पाने की
........

भागमभाग के जिन्न के
पंजो मे दबोची हुई जिंदगियों के
सांस थमने से पहले
मिले फ़ुर्सत पल भर को
भरपूर सांस ले
अपना अपना जीवन
जी पाने की
........

संभावना बची रहे
मिटने/खत्म होने हम में
छोटे छोटे स्वार्थों के लिए
गिरते हुओं को रौंदकर
सबसे आगे निकलने की प्रवृत्ति का
दूसरे की कीमत पर
खुद को बेहतर सिद्ध करने का
........

संभावना बची रहे
आने वाले समयो में
अंधेरे अंतहीन ब्लैकहोल (श्याम विवर) में
गर्क होती जिंदगियों की विरासतों का
नक्षत्र/नीहारिकाएं और
अनगिन रोशनी की लकीरें बन
अंतरिक्ष में जगमगाने का !!
........
........

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A seeker trying to make a progess on the roads less travelled in quest of the magical journey called life.

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