रोशनी की नदी


शून्य के केन्द्र तक का सफ़र किस कदर आंसुओं असफ़लता और अकेलेपन से भरा है, इसे वही ठीक से बता सकता है जो कि उन कठिन दुर्गम मार्गों से गुजरा है, और उनका साक्षी भी रहा है. पर उनके जीवनों के अनुभव हमारे जीवनों को कुछ अधिक समृद्ध और सुन्दर बना देते हैं. वे हमें जीवन के उन आयामों और पक्षों से हमारा साक्षात्कार कराते है जिनकी कल्पना अबसे कुछ पल पहले तक असंभव प्रतीत हो रही थी. उन्हें, उन लोगों ने अपने अदम्य साहस और अपूर्व हौसले और आत्मविश्वास के बूते संभव और साकार कर दिखाया और कृष्ण पक्ष के अंधेरी रातों का उज्जवल आयाम लोगों के समक्ष रखने का जोखिम उठाया जिसे लोग अक्सर अन्देखा करते है और जो अंधकार को सिर्फ़ बुराई का गढ़ या पर्याय मानते रहे हैं. पर अंधकारमय जीवनों में भी छुपे हैं कल्पनातीत संभावनाओं से सृजित सुन्दर सपनों के इन्द्रधनुषी पुलों व सेतुओं के अनगिन जाल जो घने कोहरों के धुंधलके में डूबी जिंदगियों में विद्युत बन उजास फ़ैलाते हैं और न जाने कितनी ही जिंदगियों को रोशन कर जाते हैं.

साधारण लोगों की असाधारण कहानियों के सिरे गुमनामी के गर्त में समा जाते हैं, हम सबकी उपेक्षा, उदासीनता और उत्साह हीनता के बदौलत जिन पर एक से एक बहानों की लीपापोती करके अपने उत्तरदायित्व से पिंड छुड़ा लेते हैं, और इस तरह अन्जाने में ही हम रोज ही अपने मानव बने रहने के उत्तराधिकार को ठुकराते और गंवाते है. ऐसे कर्मठ और जुझारू लोगों को अभावों, उपेक्षा, उपहास, उपालंभ और तिरस्कार की अग्नि जलाकर राख में तब्दील नहीं करती बल्कि उन्हें रोशनी के एक अजस्त्र प्रवाहमान नदी बना देती है, जिसकी रोशनी में आज भी साधारण लोग अपना जीवन बिना किसी कड़वाहट के हंसी खुशी बिता देते है.